लखनऊ में पीजीआई की डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग के तीन और जालसाज गिरफ्तार

लखनऊ  सीबीआई अफसर, पुलिस अधिकारी बनकर हाई प्रोफाइल लोगों को टारगेट कर डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैैंग का एसटीएफ ने खुलासा किया है। डिजिटल अरेस्ट गैैंग की फीमेल मेंबर के साथ अब तक कुल नौ गैैंग मेंबर को एसटीएफ पकड़ चुकी है। गैैंग के तार उड़ीसा, गुजरात समेत कई राज्यों से जुड़े हैं। गैैंग के हर मेंबर का काम अलग-अलग था। हर मेंबर को उसके काम के अनुसार फ्रॉड की रकम से कमीशन मिलता था। हाल ही में गैैंग ने पीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। रुचिका टंडन को पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 2.81 करोड़ रुपये की ठगी थी। संजय गांधी आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (पीजीआई) की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर 2.81 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले तीन और आरोपियों को एसटीएफ ने गुरुवार को गिरफ्तार किया है। तीनों इकाना स्टेडियम के पास से गिरफ्तार किए गए। वहीं, इस मामले में छह आरोपियों पहले ही जेल जा चुके हैं।

एसटीएफ के एएसपी दीपक कुमार ङ्क्षसह ने बताया कि पकड़े गए आरोपी उड़ीसा के तोरा टाउन निवासी हरि प्रिया प्रधान, प्रयागराज के कर्नलगंज निवासी जितेंद्र कुमार यादव और गाजीपुर के भुड़कुड़ा निवासी हितेश हैं। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनका एक गैैंग है और वे सीबीआई व पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को फोन करके धमकाते हैं। इसके बाद उनसे रुपये ऐंठते हैं और उस रकम से ट्रेङ्क्षडग करते हैं। साथ ही उन रुपयों को बायनेंस एप से अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करते हैं। ऑनलाइन खरीदारी करते हैं और उस सामान को बेच देते हैं।

फ्रॉड की रकम को ट्रांसफर करने के लिए वे अलग-अलग खातों का यूज करते थे। जिन्हें वे दूसरों के खातों से खरीदने के साथ जान-पहचान के लोगों को प्रलोभन देकर खाता खुलवाते थे और उस खाते के डॉक्यूमेंट्स अपने पास रख लेते थे। वहीं, पूछताछ में आरोपियों के जो भी खाते, वॉलेट समेत अन्य चीजें सामने आ रही हैं, उनको फ्रीज करवाया जा रहा है। गैैंग के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए टीम लगी हुई है।

पांच दिनों तक किया था डिजिटल अरेस्ट

पीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर के पास अज्ञात नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को मुंबई का सीबीआई अधिकारी बताया। इसके बाद प्रोफेसर से कहा कि उनपर मनी लाङ्क्षड्रग का केस हुआ, जिसमें उनके खाते का इस्तेमाल किया गया है। उनको डराकर सारी जानकारी हासिल कर ली, फिर पांच दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर उनके खाते से 2.81 करोड़ ट्रांसफर करवा लिए। ठगी का एहसास होने पर साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।

डरें नहीं बल्कि सतर्क रहें

डिजिटल अरेस्ट को लेकर साइबर एक्सपर्ट शिशिर यादव का कहना है कि दुनिया में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती है। अगर कोई व्यक्ति आपको वाट््सऐप, वीडियो या नार्मल काल कर खुद को सीबीआई, कस्टम व क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताए और कहे कि आपको डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया है तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। समझ जाइए कि वह व्यक्ति फ्राड है और ठगी करना चाहता है। ऐसी स्थिति में तत्काल आप फोन काट दें। पुलिस कंट्रोल रूम 112 व नजदीकी पुलिस स्टेशन या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं।

ऐसे करते थे लोगों को डिजिटल अरेस्ट

कई बार जालसाज जब किसी को डिजिटल अरेस्ट करने की धमकी देकर फोन करते हैं तो वीडियो काल में पुलिस की वर्दी में दिखते हैं। वह खुद को सीबीआई, कस्टम, क्राइम ब्रांच या किसी अन्य प्रदेश का पुलिस का अधिकारी बताते हैं। किसी बड़े नामचीन आर्थिक फ्राड, मनी लांङ्क्षड्रग, नशीले पदार्थों की तस्करी में आपका नाम जोड़कर जेल भेजने की धमकी देते हैं। कभी सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी का वारंट आया है,। इस तरह की धमकी देकर रुपये अपने खाते में जालसाज ट्रांसफर करा लेते हैं।